11 साल पुराने खेत विवाद में हुए खूनी हमलें के मामलें में 10 लोगों को 10-10 साल की सजा |

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City24News/अनिल मोहनिया
नूंह | नूंह जिले की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार वर्मा की अदालत ने वर्ष 2014 में गांव संगेल में पंचायती जमीन के विवाद को लेकर हुए खूनी हमले के मामलें में 10 लोगों को दोषी ठहराते हुए 10-10 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक दोषी पर कुल 31,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, जिसे न भरने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। दोषियों में दीपक पुत्र चैनपाल (45 वर्ष), मनोज पुत्र चैनपाल (40 वर्ष), राजकरण पुत्र खिच्चू (40 वर्ष), रविंदर पुत्र ओमप्रकाश (33 वर्ष), रामकुमार पुत्र सरजीत (38 वर्ष), पवन पुत्र छत्तरपाल (40 वर्ष), अजीत पुत्र चैनपाल (43 वर्ष), सतेंद्र पुत्र ओमप्रकाश (36 वर्ष), राजकुमार पुत्र खिच्चू (38 वर्ष) और चैनपाल पुत्र कल्लू सिंह (72 वर्ष) शामिल हैं, जिनकी उम्र 33 से 72 वर्ष के बीच है और सबसे बुजुर्ग दोषी 72 वर्षीय चैनपाल हैं।

आयुष यादव एएसपी ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना 5 जून 2014 को दोपहर करीब 4 बजे गांव सांघैल में हुई थी, जब छत्तर सिंह अपने बेटे राजेश, उदय सिंह, हजारी, सुमेरा, किशन और जीत सिंह आदि के साथ ट्रैक्टर से खेत जोताई कर रहे थे। इसी दौरान पंचायती जमीन के पुराने विवाद के चलते बालबीर (मृतक), महिपाल, मुकेश, अजीत, रामू, दीपक आदि पहले से लाठी, फर्सा, लोहे की रॉड लेकर पहुंचे और हमला कर दिया। शोर सुनकर जब परिजन बचाव में आए तो दूसरी तरफ से रवि, पवन, राजकरण, कैलाश, बिरजू, राजकुमार, सतेंद्र, अविनाश, जोगिंदर, रविंदर, अजीत, मनोज, अमित, पप्पू आदि भी हथियारों के साथ शामिल हो गए। हमले में संदीप, रामनिवास, रणविजय, किशन, हजारी, सुमेर, छत्तर, जीत सिंह, सरजीत, गुड्डी (किशन की पत्नी) और संतोष आदि गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पीड़ित पक्ष की शिकायत पर नूंह पुलिस ने केस दर्ज किया था । नियम अनुसार पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया और जुटाए गए सबूतों के आधार पर अदालत में करीब 11 साल तक सुनवाई चली।

1 दिसंबर को अदालत ने मामलें में दोषियों को कोर्ट ने दोषियों पर हथियारबंद दंगा करना एवं सामूहिक अपराध, मारपीट, गंभीर चोट पहुंचाना, जान से मारने की धमकी, हत्या का प्रयास आदि के तहत अपराध साबित किया । सभी दोषियों पर 31 -31 हजार का जुर्माना भी अदालत ने लगाया है। उन्होंने बताया कि बचाव पक्ष ने अदालत में दया की गुहार लगाई थी कि दोषी गरीब हैं, परिवार के इकलौते कमाने वाले हैं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता हैं तथा कोई पुराना अपराध नहीं है, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा कि जिस बर्बर तरीके से हमला किया गया, उसमें नरमी बरतने की कोई गुंजाइश नहीं है और समाज में गलत संदेश जाएगा, इसलिए कठोर सजा जरूरी है। यह फैसला नूंह जिले में जमीन विवाद से जुड़े हिंसक मामलों के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।

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