हेल्दी रहना है तो खाओ मल्टीग्रेन!

समाचार गेट/हेल्थ डेस्क
फरीदाबाद। आमतौर पर हमारे घरों में रोजाना गेहूं की रोटियां ही बनाई जाती हैं लेकिन सेहत को लेकर सावधानी बरत रहे लोग अब न केवल मिलेट्स को अपने भोजन में शामिल कर रहे हैं बल्कि गेहूं के बजाय मल्टीग्रेन आटे की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं। यह एक ट्रेंड बन गया है। बाजार में भी कई तरह का मल्टीग्रेन आटा आजकल आसानी से उपलब्ध है, जिसमें बाजरा, रागी, जौ, चना, गेहूं, ज्वार, कोदो, कुट्टू आदि शामिल होता है लेकिन जानने वाली ये है कि क्या मल्टीग्रेन आटे से हम हेल्दी रह सकते हैं? क्या इतने अनाजों को मिलाकर बना आटा फायदेमंद है?
एक्टिव वैदिक उद्योग मैं मल्टीग्रेन आटे पर रिसर्च कर रहे नरेंद्र शर्मा से बात करने पर पता चलता है कि मल्टीग्रेन आटे की रोटियां खाना कोई नया ट्रेंड नहीं है। गेहूं तो हमारे भोजन का हिस्सा काफी समय बाद बना है, उससे पहले यहां जौ, बाजरा, मक्का, चना आदि की ही रोटियां खाई जाती थीं। उसके बाद गेहूं के आटे में चना और जौ मिलाकर मिस्सी रोटी खाने का चलन भी पुराना रहा है। ज्यादातर घरों मैं आज भी तीन तरह के मिक्स मल्टीग्रेन आटे का उपयोग किया जाता है।
क्या है मल्टीग्रेन आटा ?
एक्टिव वैदिक उद्योग के रिसर्च के अनुसार दो से ज्यादा अनाज को मिलाकर बना आटा मल्टीग्रेन ही है, फिर चाहे उसमें कोई भी अनाज मिला लिया जाए लेकिन समझने वाली चीज ये है कि हर अनाज का अपना गुण है, अलग-अलग एंजाइम हैं। हर अनाज के अपने फायदे और खाने का समय भी तय है। सभी अनाजों में भरपूर फाइबर होता है। इसके अलावा रागी में कैल्शियम, ज्वार में फॉस्फोरस, गेहूं में कार्बोहाइड्रेट, चना में प्रोटीन और जिंक, बाजरा में आयरन ज्यादा होता है।
थाइरॉइड और डाइबिटीज के मरीज क्या खाएं और क्या ना खाएं ?
कुछ ऐसे अनाज हैं जो थाइरॉइड के मरीजों को नहीं दिए जा सकते। खासतौर पर छोटे मिलेट्स जैसे बाजरा, कोदो, रागी आदि को थाइरॉइड के मरीजों को खाने के लिए मना किया जाता है। जबकि डायबिटीज के मरीजों के लिए मल्टीग्रेन खाना फायदेमंद होता है लेकिन उसमें गेहूं का आटा शामिल नहीं किया जाता। इसमें मिलेट्स और कुट्टू का आटा खाना फायदेमंद होता है। हालांकि बीमारी के अनुसार किसी न्यूट्रिशनिस्ट से विशेष रूप से सलाह लेना जरूरी है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर बिना इसके बारे में जाने मल्टीग्रेन अनाज को रोजाना डाइट में शामिल कर लिया जाए तो यह फायदे के बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए इस्तेमाल से पहले मल्टीग्रेन एक्सपर्ट्स अथवा डाइटिशन से सलाह लें तो ज्यादा बेहतर है।
