सीनियर पत्रकारों को भी मिलेगा एक्सीडेंटल मृत्यु बीमा पॉलिसी का लाभ

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मीडिया वेल बींग एसोशिएशन के अध्यक्ष चन्द्र शेखर धरणी सीनियर पत्रकारों जो जो 60 से 65 वर्ष के मध्य हैं की पहली एक्सीडेंटल मृत्यु बीमा पॉलसी सत्यनारायण गुप्ता को देते हुए 

  • एमडब्ल्यूबी संस्था की पहल: 60-65 वर्ष तक की उम्र के पत्रकार शामिल
  • सबसे पहली पॉलिसी अति वरिष्ठ पत्रकार सतनारायण गुप्ता को दी

City24News@रोबिन माथुर
हथीन I कब- कैसे और कितना अधिक से अधिक लाभ पत्रकारों को दिया या दिलवाया जा सके, हर मौके पर- हर कदम पर इस प्रयास में अग्रणीय रहने वाली संस्था मीडिया वेल बीइंग एसोसिएशन (रजि.) एक बार फिर अपनी उत्तम सोच को सामने ला पाने में सफल हुई है। इस बार संस्था के अध्यक्ष चन्द्र शेखर धरणी, महासचिव सुरेन्द्र मेहता व कोषाध्यक्ष तरुण कपूर के अथक प्रयासों से एक ऐसा कार्य हो पाया है जिसकी उम्मीद न के बराबर थी। 

 संस्था की लगातार चल रही इंश्योरेंस कंपनी से बातचीत अपने मुकाम पर पहुंच पाई है। दरअसल एक्सीडेंटल मृत्यु बीमा पॉलिसी करवाए जाने की अधिकतम उम्र सभी कंपनीयो द्वारा 60 वर्ष निर्धारित की हुई है, हर कंपनी इसी मापदंड पर अपने उपभोक्ताओं को बीमें का लाभ देती है। लेकिन मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन इस उम्र पैमाने को 60 से 65 वर्ष करने को लेकर लगातार कई कंपनियों से बातचीत जारी रखे हुए थी। क्योंकि इस फील्ड में बहुत से पत्रकार 60 वर्ष से भी अधिक उम्र के हैं। लेकिन उन्हें संस्था द्वारा करवाई जा रही इस बीमा पॉलिसी का लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा था। हर कंपनी इस नियम का हवाला देकर इसके लिए इंकार कर रही थी। 

वंचित सदस्य साथियों (60-65 वर्ष) की बीमा पॉलिसी करवाकर जल्द करेंगे सुपुर्द : धरणी

पिछले तीन वर्षों से संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी 65 वर्ष तक के इन सीनियर सिटीजन पत्रकारों को यह लाभ देने के लिए अपने प्रयास जारी रखे हुए थे और हर बार कंपनी अपने मुख्य कार्यालय की तरफ से इंकार और नियमों का हवाला दे रहे थे। अब संस्था के यह प्रयास आखिरकर सफल हुए हैं। बीमा कंपनी ने  इस अनुरोध को स्वीकार किया है। बता दें कि हाल ही में संस्था द्वारा प्रदेश के काफी ऐसे पत्रकार जो 60 से 65 की उम्र के बीच के थे, उनकी पॉलिसी करवाई है और सबसे पहली पॉलिसी अति वरिष्ठ पत्रकार सतनारायण गुप्ता को समर्पित की है। इस बारे संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी ने बताया कि प्रदेश में ही नहीं पूरे देशभर में संस्था से जुड़े 60 से 65 की उम्र के सदस्यों के सम्मान के लिए यह लड़ाई लड़ी गई थी। बहुत जल्द संस्था इस लाभ से वंचित सीनियर सिटीजनस पत्रकारों की पॉलिसी करवाकर उनके सुपुर्द करेगी।

संस्था के अथक प्रयासों से ही पत्रकारों को सरकारी सिस्टम से मिल पाए हैं अधिकार : गुप्ता 

पॉलिसी मिलने के बाद काफी संतुष्ट और खुश नजर आए गुप्ता ने संस्था की सोच और कार्यशैली की जमकर सराहना करते हुए कहा कि यह उनके लिए बेहद सम्मान की बात है कि संस्था लगातार उन्हें मिलने वाले इस लाभ के लिए प्रयासरत थी। उन्होंने कहा कि वास्तव में मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन पत्रकारों की भलाई व कल्याण के लिए दिल से कार्य करने वाली एकमात्र संस्था  है। जिस प्रकार से अपने निजी कोष से मजबूर पत्रकारों को आर्थिक मदद संस्था द्वारा दी गई और सरकार से भी मदद दिलवाई गई, यह वास्तव में बेहद सराहनीय है। उन्होंने कहा कि समाज में पत्रकार ही एकमात्र ऐसा साधन है जो सरकार की गलत नीतियों पर जनता के लिए सरकार से अपनी कलम के माध्यम से लड़ाई लड़ता है और जनता को उनके अधिकार दिलवाता है, वहीं जनता में होने वाले गलत कार्य बिना किसी डर – लालच के अपनी लेखनी के माध्यम से जग जाहिर करता है जो सरकार और प्रशासन के संज्ञान में भी आता है, जिस कारण से उसका समाधान भी होता है। लेकिन इस भूमिका में पत्रकार केवल और केवल हैंड टू माउथ यानि कमजोर आर्थिक संपनता की स्थिति में रह जाता है। ना तो समाज इसका संज्ञान लेता है और ना ही सरकारी तंत्र। आज तक बहुत से संगठन पत्रकारों के कथित हितों के नाम पर बने, लेकिन ना ही अपने स्तर पर ना ही सरकारी स्तर पर बहुत ज्यादा लाभ पत्रकारों को हो पाया। मीडिया वेलबिंग एसोसिएशन हर कदम पर पत्रकारों के न केवल दुखों और तकलीफों में खड़ी नजर आ रही है, बल्कि आर्थिक रूप से उनकी मदद भी करती है। सरकारी स्तर पर जो अधिकार बहुत पहले मिल जाने चाहिए थे इस संस्था के अथक प्रयासों से सरकारी सिस्टम का ध्यान पत्रकारों के हितों की तरफ जा पाया है। आज चाहे पेंशन मिल पाने की बात हो, कैशलेस मेडिकल सुविधा मिल पाने की बात हो या अन्य कई नीतियां- पॉलिसियों बन पाने की बात हो, इन सभी बातों में इस संस्था का योगदान बेहद अग्रणीय रहा है। गुप्ता ने कहा कि सीनियर सिटीजन पत्रकारों को इंश्योरेंस पॉलिसी दिलवाने के लिए जो प्रयास संस्था के अध्यक्ष चंद्रशेखर धरणी द्वारा किए गए, वास्तव में यह उनकी सकारात्मक सोच का एक प्रमाण है।

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