सर्व कर्मचारी संघ ने किया एसेंबली का आयोजन
city24news@रोबिन माथुर
हथीन |कर्मचारियों के जनतांत्रिक व नागरिक अधिकारों सामाजिक न्याय व एकता बिजली क़ानून संशोधन व स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रोड ट्रांसपोर्ट क़ानून तथा लेबर कोड़ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर आज सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के तत्वावधान में दूसरे दिन भी कर्मचारी एसेंबली का आयोजन किया गया। ज़िला सचिव योगेश शर्मा द्वारा संचालित कर्मचारी एसेंबली की अध्यक्षता ज़िला प्रधान राजेश शर्मा ने की।आज दूसरे दिन कर्मचारी एसेंबली में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे गए जिनमें रोज़गार के विस्तार, कर्मचारियों के लिए अलग से वेतन आयोग का गठन करने, कर्मचारियों के जनतांत्रिक एवं राजनीतिक अधिकार, बिजली संशोधन बिल 2023 को वापस लेने,राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को रद्द करने तथा रोड ट्रांसपोर्ट विधेयक 2019 और सार्वजनिक परिवहन सेवा के बारे में प्रस्ताव प्रमुख थे। इन प्रस्तावों को कर्मचारी एसेंबली में सभी उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित करके माननीय राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष को उपायुक्त पलवल के माध्यम से भेजने का निवेदन रखा गया। आज की कर्मचारी एसेंबली में किसान नेता मास्टर महेन्द्रसिंह चौहान व धर्मचन्द,सोहनपाल चौहान, सीआईटीयू के नेता रमेशचन्द व दरियाब सिंह, रिटायर्ड कर्मचारी संघ के नेता विधूसिंह व ताराचन्द विशेष रूप से उपस्थित रहे।
कर्मचारी एसेंबली में यूनियन नेता जितेंद्र तेवतिया, हरकेश सौरौत, रमेश डागर, पवन रावत व रामआसरे यादव ने भी सभी प्रस्तावों पर अपने विचार व्यक्त किए।कर्मचारी एसेंबली में प्रस्तुत प्रस्तावों पर बोलते हुए सदस्यों ने कहा कि सार्वजनिक सेवाओं को बचाने का मुद्दा केवल कर्मचारियों का ही नहीं है बल्कि यह पूरी जानता का मुद्दा है। सरकारी विभागों के निजीकरण, ठेका व छँटनी के ख़िलाफ़ और जानता के लिए रोज़गार, सस्ती और सुलभ सेवाऐं देने के उद्देश्य को लेकर पिछले तीस वर्षों से आंदोलन किए गए हैं। एसेंबली में बोलते हुए सदस्यों ने महसूस किया कि जब तक सेवाओं का लाभ ले रहे उपभोक्ता और कर्मचारी एकजुट होकर संघर्ष नहीं करेंगे तब तक सार्वजनिक सेवाओं को बचाना बहुत ही मुश्किल काम है। रोटी कपड़ा मकान तथा दवाई और पढ़ाई की ज़रूरत देश के हर व्यक्ति का बुनियादी अधिकार है तथा उसे ये चीजें मौलिक अधिकार के रूप में मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिकों को मुफ़्त स्वास्थ्य शिक्षा और रोज़गार देने की व्यवस्था के बाद ही समाज का विकास किया जा सकता है। विधानसभा में बोलते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 2 लाख 2 हज़ार 456 पद ख़ाली पड़े हैं। जबकि सन् 1991 में प्रदेश की आबादी केवल सवा करोड़ थी तथा कर्मचारियों की संख्या चार लाख थी अब प्रदेश की आबादी बढ़कर तीन करोड़ हो चुकी है तो कार्यरत कर्मचारियों की संख्या मात्र 2 लाख 70 हज़ार ही बची है। अगर आबादी और सेवाओं के तय पैमाने की ज़रूरत के हिसाब से भर्ती करने पर दस लाख पद बनते हैं। उन्होंने बताया कि आज मौजूदा समय में छोटे उपभोक्ताओं को बिजली दरों में कुछ छूट मिल रही है तथा खेती के लिए सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। बिजली संशोधन बिल व स्मार्ट मीटर लगते ही बिजली के रेट इतने बढ़ जाएँगे कि बिजली आम उपभोक्ता के बूते से बाहर हो जाएगी। सरकार ने बड़े पूँजीपतियों के हितों को ध्यान में रखते ही श्रम क़ानूनों में बदलाव करके चार लेबर कोड बनाकर मज़दूरों के अधिकारों पर हमला बोल दिया है। पहले प्रदेश के ज़्यादातर गांवों में रोडवेज़ की बसें पहुँचती थी लेकिन रोडवेज़ में निजीकरण शुरू होने के बाद अब गांव में जाने वाली बसें बंद हो गई हैं। कर्मचारी एसेंबली के समापन से पहले उपस्थित सदस्यों ने एसेंबली में प्रस्तुत किए गए प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।