भवसागर से पार करने वालों को केवट ने कराया गंगा पार

-जिन चरणों की रज लेने को देवगण भी व्याकुल रहते हैं, उन चरणों को केवट ने धोकर अपना किया उद्धार
-राम के प्रति भरत का समर्पण देख, जनसमूह हुआ भावविभोर
-शूर्पणखा की कटी नाक, खर दूषण का वध
City24news/अनिल मोहनिया
नूंह | सांस्कृतिक सभ्यता, धार्मिक,मार्मिक, रंगारंग, भक्तिसरोवर से ओतप्रोत भवसागर से जीवन की नैया को पार करने वाले श्री राम प्रभु को केवट ने गया गंगा पार कराया तो दर्शक भावविभोर हो गए, जिन चरणों की रज को लेने को देवगण भी आतुर रहते हैं।उन चरणों को केवट ने धोकर अपना जन्म जन्म का उद्धार कर लिया। ये प्रसंग व मार्मिक भावपूर्ण दृश्य कस्बा नगीना में श्री रामलीला विकास कमेटी (रजिस्टर्ड) के तत्वाधान में आयोजित रामलीला का है भारत के ननिहाल से अयोध्या आने के बाद जब भरत को सारे प्रसंग के बारे में जानकारी प्राप्त होती है तो वो व्याकुल हो जाते हैं। अपनी माता के कैकयी पर रुष्ट होकर नाराजगी प्रकट करते हैं। गुरु वशिष्ठ श्रीमंत कर श्री राम प्रभु के साथ जाने का निर्णय लेते हैं। भरत अपने गुरु वशिष्ठ के सानिध्य में माता कौशल्या, माता कैकयी ,माता सुमित्रा ,अनुज भ्राता शत्रुघ्न व नगर वासियों के साथ चित्रकूट की ओर प्रस्थान करते हैं। जहां लक्ष्मण अयोध्या की सेना व भरत को आता देख उत्तेजित हो जाते हैं। श्री राम लक्ष्मण को समझाकर शांत करते हैं जब भरत चित्रकूट पर पहुंचते हैं तो व श्री राम के चरणों में गिर जाते हैं और बिलख बिलख कर रोने लगते हैं। दोनों भाई-बहन होकर दोनों भाइयों की अश्रु धारा में निकलती है भरत रूद्र कंठ से कहते हैं की भैया मुझे अयोध्या का राजपाट नहीं चाहिए ये राजपाठ आपका है आप ही इसे संभालिए। आप अयोध्या वापस चले लेकिन श्री राम में पिता दशरथ के वचन को स्मरण कराते हुए कहा कि वे पिता की आज्ञा को निभाने के लिए 14 वर्ष तक अयोध्या नहीं आएंगे। काफी जद्दोजेहद के बाद श्री राम प्रभु अपनी चरण पादुका भरत को सौंप देते हैं भरत आदर व मान सम्मान के साथ चरण पादुका अपने शीश पर विराजमान कर अयोध्या की ओर चल पड़ते हैं। इस मार्मिक, धार्मिक प्रेरणादायक दृश्य को देखकर उपस्थित जनसमूह भावविभोर हो जाता है और उनके नेत्रों से भी अश्व धारा बहने लगती है। पंचवटी वाटिका में माता सीता, श्री राम प्रभु, भाई लक्ष्मण जी के साथ विराजमान है और अचानक शूर्पणखा का आगमन होता है, वो राम लक्ष्मण को देखकर उन पर मोहित हो जाती है। और शादी का प्रस्ताव राम लक्ष्मण के समक्ष रखती है। शादी के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद वह उनसे बदला लेने का प्रयास करती है। शूर्पणखा की इस दुष्टा के लिए लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं। जिससे वह क्रोधित होकर अपने भाई खर दूषण के पास जाती है और राम लक्ष्मण की इस कृत्य के लिए दंड देने का अनुरोध करती है। खरदूषण अपनी 14 हजार की सेवा के साथ युद्ध करने के लिए चल देते हैं राम प्रभु 14 हजार की सेना के साथ खर दूषण दोनों का वध कर देते।
श्री दुर्गा माता भजन मंडली नगीना की वरिष्ठ समाजसेवीका नेत्रहीन वीणा रानी का कमेटी की ओर से शाल उड़ाकर व प्रतीक देकर सम्मानित किया गया।
मंच संचालन किया : सभ्य,सौम्य व मर्यादा पूर्ण शब्दों का चयनकर रजत जैन मंच संचालन कर उपस्थित जनसमूह का मन मोह लिया जिसकी सभी ने मुक्त कंठ प्रशंसा की ।
इन्होंने निभाए पत्रों के किरदार : कुशल निर्देशन व निर्देशन मुकेश शर्मा, संदीप सैनी, राकेश प्रजापत,परशराम सैनी,दौलत राम प्रजापत, महेंद्र, हरीश कालरा, सागर गोयल के कुशल निर्देशक व निर्देशन में राम- मुकेश शर्मा, लक्षमण – पवन भटनागर, भरत – परशराम सैनी, शत्रुघ्न- बंटी भटनागर, सीता-सागर गोयल, केवट- ओमकार साहू, शूर्पणखा- हरीश कालड़ा, खर-दीपक कालरा,दूषण-राकेश प्रजापत, गुरु वशिष्ठ-भारत श्री वास्तव, कैकयी-सुभाष सैनी, कौशल्या -राजू गांधी, नृत्यांगना व गायिका -अमित जांगडा, मंत्री-सतीश प्रजापत, दैत्य ओमप्रकाश, जतिन,लोकेश ने अपने अपने पात्रों के अनुसार दमदार कला (अभिनय) के माध्यम से किरदार निभाकर जनता को आत्म विभोर कर दिया।
इस अवसर पर रामलीला विकास कमेटी नगीना के अध्यक्ष कमल शर्मा, कोषाध्यक्ष गोविंद दुबे, सचिव ओमकार साहू, संरक्षक सतपाल सैनी, प्रभु दयाल गंभीर, पूर्व पंच प्यारे लाल,पंडित जगन शर्मा, परसराम सैनी, सर्वजातीय सेवा समिति के उपाध्यक्ष रजत जैन, मोनू शर्मा, शेर सिंह सैनी,आदि उपस्थित रहे।