बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस पर आयोजित कार्यक्रम, बचपन बचाने का आह्वान

City24news/ब्यूरो
फरीदाबाद | जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण फरीदाबाद ने माननीय श्री संदीप गर्ग जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, फरीदाबाद के मार्गदर्शन तथा श्रीमती रितु यादव, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-सह-सचिव, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण, फरीदाबाद के कुशल पर्यवेक्षण में बाल श्रम के विरुद्ध विश्व दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न जनजागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया।
ये कार्यक्रम जिले के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए, जिनमें प्रमुख रूप से गवर्नमेंट मॉडल सेकेंडरी स्कूल, सराय ख्वाजा; ईंट-भट्टा ग्राम नवादा; तिगांव; ए.सी. नगर एवं एनआईटी, फरीदाबाद शामिल रहे। गवर्नमेंट मॉडल सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा में आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में बचपन बचाने का आह्वान किया गया। स्कूली बच्चों व स्थानीय नागरिकों को बाल श्रम की विभीषिका, उसके दुष्परिणामों एवं उससे बचाव हेतु कानूनी उपायों के प्रति जागरूक करना प्रमुख लक्ष्य रहा।
सराय ख्वाजा स्थित गवर्नमेंट मॉडल सेकेंडरी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि श्रीमती रितु यादव के विचारोत्तेजक संबोधन से हुई। उन्होंने बताया कि यह दिवस क्यों मनाया जाता है और बाल श्रम को रोकने के लिए भारत में कौन-कौन से कानूनी प्रावधान लागू हैं। उन्होंने बाल और किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986, संविधान के अनुच्छेद 21A (शिक्षा का अधिकार) और अनुच्छेद 24 (खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध) की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इसके पश्चात श्री रविंदर गुप्ता, मुख्य विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता ने एक प्रभावशाली एवं भावनात्मक भाषण दिया। उन्होंने कहा “बचपन की कश्ती है मंझधार में,
जो खिलौनों से खेलते थे, वो अब खिलौने बेचते हैं बाज़ार में।”
यह पंक्तियाँ श्रोताओं को गहराई से छू गईं और बाल श्रम की भयावहता को उजागर करती हैं। उन्होंने बाल श्रम के विरुद्ध कानूनी उपायों की जानकारी दी तथा समाज को सजग व जागरूक होकर बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का आह्वान किया।
श्री रविंदर मनचंदा विद्यालय के प्रधानाचार्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत 14 वर्ष की आयु तक शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार बताया।
इस अवसर पर सुश्री समरीन, पैनल अधिवक्ता, प्राध्यापिका मोनिका, दिनेश पी टी आई और प्रमोद ने भी सहभागिता की और बच्चों से संवाद कर उन्हें बाल श्रम के दुष्परिणामों से अवगत कराया।
साथ ही, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण से संबद्ध पैनल अधिवक्ताओं ने नियत स्थानों पर रोस्टर के अनुसार जागरूकता शिविरों का आयोजन किया। उन्होंने स्थानीय निवासियों, विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ संवाद कर बाल श्रम उन्मूलन हेतु कानूनी जानकारी, कहानी-कथन और वार्तालाप के माध्यम से जनचेतना का विस्तार किया।
यह कार्यक्रम अत्यंत सफल एवं जनभागीदारी से परिपूर्ण रहा, जिसने समाज को यह संदेश दिया कि बच्चों का स्थान विद्यालय में है, न कि कार्यस्थलों पर। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने आए हुए सभी अतिथियों का बाल श्रम समाप्त करने के प्रयासों की सराहना करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।