गुरु गोविंद सिंह का धर्म की रक्षा के लिए दिया गया सर्वोच्च बलिदान: डॉ.आर.के. विश्वकर्मा

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city24news@निकिता माधोगड़िया
रेवाड़ी। गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व 357 वीं वर्षगांठ की पर स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एवं ग्रीन इंडिया- क्लीन इंडिया अभियान के तत्वाधान में पुष्पांजलि अर्पित कर वाहेगुरु की खालसा, वाहेगुरु की फतेह भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ रेजांगला स्मृति स्थल पर आयोजित संगोष्ठी में सांयकाल दीपोत्सव के साथ पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रोफेसर जया शर्मा ने कहा खालसा पंथ और खालसा वाणी के संस्थापक गुरु गोविंद सिंह ने देश और धर्म की रक्षा और मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। वे एक बहादुर योद्धा, कवि और आध्यात्मिक महापुरुष थे। उन्होंने कहा वह एक महान योद्धा होने के साथ कई भाषाओं के जानकार और विद्वान थे।उन्होंने कहा गुरु गोविंद सिंह के बाद ही गुरु ग्रंथ साहिब को सर्वोच्च गुरु का दर्जा दिया गया था।10वें गुरु की परंपराओं के बाद ही गुरु ग्रंथ साहिब को पवित्र और अहम माना गया है। सामाजिक कार्यकर्ता जोहरी सिंह ने कहा ईश्वर ने हमें अच्छे कर्म और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने हेतु जन्म दिया है।आरडब्लूए सेक्टर- 3 के पूर्व अध्यक्ष सर्वसुख यादव ने भी अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ.आर.के.जांगड़ा विश्वकर्मा, सदस्य स्वच्छ भारत मिशन हरियाणा सरकार एसटीएफ ने कहा

गुरु गोविंद सिंह ने अन्याय, अत्याचार और पापों को खत्म करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया। गुरु गोविंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के साथ 14 युद्ध लड़े।सिखों ने सिख योद्धा और खालसा सेना के सेनापति बंदा सिंह बहादुर के नेतृत्व में मुगलों के खिलाफ विद्रोह किया। मनुष्य अनंत जीवन का एक भाग है इस जीवन का कोई अंत नहीं है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरु गोविंद सिंह के विचार आज भी प्रॉसंगिक है।संगोष्ठी में महेंद्र प्रताप, जोहरी सिंह, सर्व सुख, वीर सिंह, नमन, इशांत, रोहित, कुणाल, अंश, रुद्राक्ष, दुष्यंत, देव, चिराग, रूपेश, कार्तिक, कनिष्क, प्रिंस,प्रतीक, जयंत, जितेश, संचित, लक्ष्य, समीर, धैर्यवर्धन सिंह, सूर्यवर्धन सिंह आदि अनेक युवा विशेष रूप से उपस्थित थे।

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