गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन सेमीनार का हुआ आयोजन

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  • श्रीकृष्ण के गीता के अंदर कहे गए हर एक शब्द का हम सबको करना चाहिए अनुसरण : विधायक जगदीश नायर
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्टï्रीय स्तर पर देश की आन-बान-शान-सम्मान श्रीमद्भगवद्गीता का गौरव बढाने का किया कार्य
  • गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन सेमीनार का हुआ आयोजन, विधायक जगदीश नायर रहे मुख्य अतिथि

city24news@ऋषि भारद्वाज

जिला स्तर पर नेताजी
पलवल |  सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम पलवल में मनाई जा रही दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन की शुरूआत हवन यज्ञ में आहुति देकर की गई। समारोह के द्वितीय दिवस में सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न प्रख्यात ज्ञानियों ने श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित व्याख्यान देकर गीता के ज्ञान से उपस्थिति को अवगत कराया। इस कार्यक्रम में हरियाणा भूमि सुधार एवं विकास निगम के चेयरमैन एवं होडल के विधायक जगदीश नायर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे। विधायक जगदीश नायर ने सेमीनार का शुभारंभ रीबन काटकर व श्रीमद्भगवद्गीता के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर पूजा अर्चना करके किया। इस मौके पर उन्होंने समारोह में सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से गीता पर आधारित लगाई गई प्रदर्शनी का भी रीबन काटकर उद्घाटन करके अवलोकन भी किया और प्रदर्शनी में अंकित श्रीमद्भगवद्गीता के श£ोको को भी पढा। विधायक जगदीश नायर ने गीता जयंती महोत्सव में विभिन्न विभागों, धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा लगाई गई स्टॉलों पर जाकर अवलोकन किया और संबंधित स्टॉल पर मौजूद कर्मियों एवं धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों से उनकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी हासिल की।

विधायक जगदीश नायर ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने धार्मिक कार्यक्रमों में रूचि लेकर श्रीकृष्ण से जुडकर पुनीत कार्य किया है। आज उसके परिणामस्वरूप गीता महोत्सव प्रदेश के प्रत्येक जिला ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में अंतरराष्टï्रीय स्तर पर भी आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्टï्रीय स्तर पर देश की आन-बान-शान-सम्मान श्रीमद्भगवद्गीता का गौरव बढाने का कार्य देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व देश के गृहमंत्री अमित शाह स्वयं अपने मुख्य से गीता के ज्ञान की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। गीता ज्ञान का अथाह भंडार है। उन्होंने सभी से आह्वïान करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के द्वारा गीता के अंदर कहे गए हर एक शब्द का हम सबको अनुसरण करना चाहिए। गीता के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करके ही हम आत्मसात हो सकते हैं। फल की इच्छा के बिना सद कर्म करते रहे। उन्होंने समारोह में स्टॉल लगाने वाले सभी धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं व विभागों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने वाले सभी कलाकारों को गीता जयंती की बधाई व शुभकामनाएं देकर धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने ईश्वर से पूरे विश्व की भलाई व सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की।
बॉक्स:-
-गीता जयंती समारोह में आयोजित सेमीनार में श्रीमद्भगवद्गीता के प्रख्यात ज्ञानियों ने व्याख्यान देकर उपस्थिति को किया भक्ति से सराबोर
-संपूर्ण गीता में हैं 18 अध्याय और 700 श्लोक
-गीता मात्र एक शास्त्र अथवा पौराणिक ग्रंथ नहीं अपितु जीवन व आत्म प्रबंधन का है सबसे सरल माध्यम
गीता महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित किए गए सेमीनार में विभिन्न प्रख्यात: ज्ञानियों ने श्रीमद्भगवद्गीता में वर्णित व्याख्यान देकर मौजूदगी को भक्ति से सराबोर किया। जीजीडीएसडी महाविद्यालय पलवल के प्रोफेसर के.डी. शर्मा ने गीता में कर्म के भाव का श्रवण कर समझने तथा अपने जीवन में उसका अनुसरण करने की बात कही। उन्होंने गीता में निहित कर्म-विकर्म-अकर्म की परिभाषा देकर फल की इच्छा किए बिना कर्म करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण गीता में कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग तथा 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। प्रत्येक श्लोक से मानव का कल्याण होता है। गीता में सभी समस्याओं का हल मिलता है।

डाइट जनौली से सेवानिवृत्त सहायक प्रोफेसर कुबेर दत्त गौतम ने कहा कि गीता की उत्पत्ति आज से 5 हजार 159 वर्ष पूर्व हुई थी, इस वर्ष 5 हजार 160वीं गीता जयंती मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सीखने के लिए शिष्य भावना होनी अनिवार्य है, जिस प्रकार श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में पार्थ को एक गुरू की भांति गीता का ज्ञान प्रदान किया और अर्जुन ने गीता ज्ञान को एक शिष्य के रूप में अर्जन किया। गीता में वह शक्ति है जो शत्रुता को मित्रता में, प्रबलता को सबलता में परिवर्तित कर देती है। उन्होंने कहा कि विशाल होने पर विवाद नहीं अपितु संवाद करना चाहिए।
हरियाणा संस्कृत विद्यापीठ बघौला के सहायक प्रोफेसर डा. राधावल्लभ शर्मा ने कहा कि वियोग से योग की सृष्टिï हुई है। गीता मात्र एक शास्त्र अथवा पौराणिक ग्रंथ नहीं अपितु जीवन व आत्म प्रबंधन का सबसे सरल माध्यम है। गीता के ज्ञान से एक्यूरेट स्ट्रेस मैनेजमेंट करें। भारत में संवाद को प्राथमिकता दी गई है। सुख दुख में समान रहना ज्ञान-कर्म-भक्ति में बताया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में मुख्यत: तीन योगों का वर्णन किया गया है। कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग। मानव मात्र को वह कर्म करना चाहिए, जो शास्त्र अनुमोदित हो। कर्म के माध्यम से जीवन में सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है। भक्ति योग के माध्यम से परमात्मा से मिलन होता है और ज्ञान योग के माध्यम से मानव को मुक्ति मिलती है।
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से राजेंद्र कुमार भाई ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हमें यही सिखाती है कि श्रेष्ठ कर्म ही मानव जीवन के सद्गति प्राप्त करने के संसाधन है, क्योंकि शरीर में हम सभी आत्माएं हैं। आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है। आत्मा के सात गुण क्रमश: गुण, ज्ञान, पवित्रता, आनंद, प्रेम, सुख, शांति होते हैं। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में इन गुणों को व्यवहार में लाए तो जीवन सुख मय बन जाए। अंतिम समय में आत्मा परमात्मा में विलिन हो जाती है। सृष्टि रंगमंच पर हम जैसे कर्म करते हैं, वही कर्म आत्मा के साथ जाते हैं। बुरे कर्म करने के कारण दुष्ट आत्मा कहा जाता है और श्रेष्ठ कर्म करने वाली आत्मा को पुण्य आत्मा अथवा धर्मात्मा या महान आत्मा अर्थात महात्मा कहा जाता है।
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉक्टर सुखीराम राम रावत ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता मानव मात्र का शास्त्र है। इसके भिन्न-भिन्न काल खंडों में व्यक्तियों का मार्गदर्शन किया गया है। इन व्यक्तियों ने इस ग्रंथ को अपने-अपने दृष्टिकोण से देखा है। श्रीमद्भगवद्गीता में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग प्रमुख योग हैं। व्यक्ति को अपने जीवन काल में अपने स्वभाव (सात्विक-राजसिक-तामसिक) के अनुसार कर्म करना चाहिए। मानव को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। मानव को चाहिए कि वह फल की इच्छा करे बगैर कर्म करे। अपने-अपने व्यवहार के अनुसार कर्म करने से ही मानव भक्ति योग और ज्ञान योग के मर्म को सही तरीके से समझ सकता है। अत: गीता सब काल में प्रासंगिक है और पठनीय है।
समारोह में स्कूली बच्चों ने किया वैश्विक गीता श£ोकोच्चारण
-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की हुई शानदान प्रस्तुतियां
-स्मृति चिन्ह देकर कलाकारों को किया सम्मानित
इससे पूर्व प्रात: 11 बजे स्कूली विद्यार्थियों द्वारा जियो गीता के वैश्विक आह्वïान पर तीन श£ोकोच्चारण एक मिनट-एक साथ-गीता पाठ तथा ठीक 12 बजे वैश्विक गीता श£ोकोच्चारण किए गए। समारोह में स्कूली छात्राओं द्वारा मां सरस्वती की वंदना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य प्रस्तुतियों दी गई। सूचना जनंसपंर्क एवं भाषा विभाग की राजाराम भजन मंडली ने महाभारत काल पर आधारित गीत के बोल-श्रीकृष्ण जी कुरूक्षेत्र के दरम्यान, सारथी अर्जुन के बनगे की शानदार प्रस्तुति देकर समोराह को भाव-विभोर कर दिया। जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार बघेल ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक जगदीश नायर को शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत व आभार प्रकट किया। इस दौरान मुख्य अतिथि ने सांस्कृतिक प्रस्तुति देने वाले तथा कक्षा 6 से 12वीं तक जिला में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले स्कूल के विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि द्वारा प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। गीता महोत्सव समारोह में मंच संचालन डा. सम्पत्त सिंह ने किया।
समारोह में जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी उपमा अरोड़ा, जिला परिषद पलवल के डिप्टी सीईओ प्रदीप कुमार, उप जिला शिक्षा अधिकारी सुखबीर सिंह तंवर, बीजेपी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रश्मि सहरावत, बीरपाल दीक्षित, खंड शिक्षा अधिकारी मामराज रावत, खंड शिक्षा अधिकारी दयानंद रावत सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति, धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि व विभागों के अधिकारीगण मौजूद रहे।

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