इमिग्रेशन अथाॅरिटी अधिकारी बन सिंगापुर में भारतीयों से ठगी करने के आरोप में सीबीआई की विशेष अदालत ने दो लोगों को को सुनाई ढाई-ढाई साल की सजा

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 – एक आरोपी कुरूक्षेत्र तो दूसरा गुरूग्राम का रहने वाला है
 -कबूतरबाजों के लिए सबक है अदालत का फैसला

City24news/सुनील दीक्षित
कनीना | सीबीआई पंचकूला की विशेष अदालत ने ठगी के मामले में दो व्यक्तियों को ढाई-ढाई साल की सजा सुनाई है। जो कबूतरबाजों के लिए एक सबक है। सीबीआई के न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल कुमार यादव ने कुरुक्षेत्र निवासी आदित्य भारद्वाज उर्फ भानु और गुरुग्राम निवासी दीपक जैन उर्फ डीसी को एक अत्याधुनिक ठगी के मामले में ढाई साल की सजा सुनाई है। यह मामला दिल्ली सीबीआइ द्वारा 27 सितंबर 2016 को दर्ज किया गया था। अदालत ने आरोपियों को घोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक साजिश और आइटी एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया था। यह फैसला सीबीआइ नई दिल्ली के तत्कालीन निरीक्षक मोहम्मद अफसर आलम की शिकायत पर सुनाया गया है। अदालत ने आदित्य भारद्वाज को आइपीसी की धारा 120बी, 419, 420 और 468 के तहत दोषी ठहराया, जबकि दीपक जैन को आइपीसी की धारा 120बी, 420, 468 और आइटी एक्ट की धारा 66-डी के तहत दोषी माना। आदित्य भारद्वाज पर 5000 और दीपक जैन पर 20000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आदित्य नेमाना कि वह ठगी की रकम रिलायंस मनी एक्सप्रेस के जरिए अपनी एचडीएफसी बैंक शाखा में प्राप्त करता था, फिर एटीएम से कैश करता और उसमें से हिस्सा रखकर बाकी रकम दीपक जैन को देता था। जिस पर कोर्ट ने आरोपियों को धोखाधड़ी व आइटी एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया।
कुरुक्षेत्र से निकाली गई थी ठगी की रकम
प्रारंभिक जांच में सीबीआइ अदालत के सामने पांच ऐसे ट्रांजेक्शन सामने आए जिनमें सिंगापुर के तीन पीड़ितों से भेजे गए पैसे कुरुक्षेत्र से निकाले गए थे। जिसमें जाली पहचान पत्रों और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया। जांच में सामने आया कि यह ट्रांजेक्शन रिलायंस मनी एक्सप्रेस लिमिटेड के सब-एजेंट्स के माध्यम से अप्लाइ किए गए थे। आदित्य भारद्वाज की फर्म एमएस गुरु कृपा टूर एंड ट्रैवल्स भी इसमें संलिप्त पाई गई थी। इस पूरे षड्यंत्र में एक और साथी हरनेक सिंह भी शामिल था। जो अभी तक फरार है।
इमिग्रेशन अथाॅरिटी अधिकारी बन शिकार को फंसाते थे जाल में
आदित्य भारद्वाज उर्फ भानु और दीपक जैन उर्फ डीसी दोनों ने सिंगापुर में रह रहे भारतीय नागरिकों से धोखाधड़ी करने की साजिश रची। वह सिंगापुर इमिग्रेशन अथाॅरिटी के अधिकारी बनकर फर्जी काल करते और पीड़ितों पर हवाई अड्डों पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाते। धमकी देकर वे पीड़ितों को आपराधिक मामलों में फंसाने और डिपोर्ट करने की बात कहते। जब सामने वाला उनके दबाव में आ जाता था तो इसके एवज में सैंटलमेंट फीस एंव फाइनेंस के रूप में वेस्टर्न यूनियन के जरिए पैसे मंगवाते थे। कई बार वह मनी ट्रांसफर कंट्रोल नंबर भी पीड़ितों से लेकर अवैध रूप से पैसे निकाल लेते थे। जिसमें फर्जी आइडी का उपयोग करते थे।

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